शेर शाह सूरी का मकबरा Sher Shah Suri Tomb
यह मकबरा बिहार के सासाराम शहर में स्थित है भारतीय इतिहास में इस मकबरे को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है यह मकबरा कलाकृति और खूबसूरत चित्रकला से घिरा हुआ है इसे भारत का दूसरा ताजमहल भी कहा जाता है इसे शेरशाह सूरी का मकबरा भी कहा जाता है यह मकाबरा तालाब के बीच स्थित है जो इसकी खूबसूरती में और चांद चांद लगा देता है इस मकबरा को मुगलों के महान शासक शेरशाह सूरी ने बनवाया था इस मकबरा की सुंदरता, वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे भारत का दूसरा ताजमहल कहा जाता है
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शेर शाह सूरी का जीवन और शासन काल
शेरशाह सूरी का जन्म लगभग 1472 ईस्वी में के आसपास हुआ होगा यह एक पठान सैनिक थे, शेरशाह सूरी ने मुगल शासन को परास्त कर सूरी साम्राज्य का न्यू डाला, शेरशाह सूरी ने सन 1540 से लेकर सन 1546 तक भारत पर शासन किया था, शेरशाह सूरी एक पठान सैनिक के साथ-साथ एक चतुर शासक भी थे शेरशाह सूरी के शासनकाल के दौरान कई विशेष सुधार और विकास किया जैसे:– सड़क का निर्माण, भूमि राजस्व, मुद्रा का दूसरा स्वरूप के साथ-साथ और अन्य विकास और सुधार किया गया।
शेर शाह सूरी का मकबरा
निर्माण और वास्तुकला
शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल के दौरान ही अपने मकबरा का निर्माण करवा दिया था इस मकबरा का निर्माण लगभग 1540 ई में आरंभ किया गया और 1545 में या मकबरा बनकर तैयार हो गया, इस मकबरा को बनाने वाले कारीगर का नाम मीर मोहम्मद अलीवाल खान था। जो उस समय के प्रसिद्ध वास्तुकार हुआ करते थे, मकाबरा का निर्माण लाल और बलुआ पत्थर से किया गया है इस मुकाबले की लगभग लंबाई 122 फिट है, एक विशाल झील के बीचों बीच एक वर्गाकार चबूतरा पर इस मकबरा का निर्माण किया गया है इस मकाबरा के चारों कोनों पर एक गुबदकार वास्तुकला स्थित है जो अंदर से खोखला है विशेष मकबरा आठ कोनो वाला बनाया गया है जिसके शिखर पर एक गुंबद स्थित है इस शिखर की लंबाई लगभग 22 मीटर है। और चारों दिशाओं से सुंदर कलाकृति से घिरा हुआ गुंबद अंदर से खोखला है इसी विशेष मकबरा के अंदर शेरशाह सूरी और उनके पूरे परिवार की कब्र मकबरा के बीच-बीच स्थित है
शेर शाह सूरी का मकबरा और पर्यटन स्थल
अभी के समय में समय में शेर शाह सूरी का मकबरा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है, इस मकबरे में दो नहर बनाई गई थी जिसमें से एक नहर से पानी आता था और दूसरे नहर से पानी निकलता था। इस मकबरा के चार और एक पार्क स्थित है जिसकी वजह यह मकबरा और सुंदर लगता है, यह मकबरा 52 बिगहा में बनाया गया है, और इसके क्षेत्र में एक मस्जिद स्थित है और इसके थोड़े ही दूरी पर एक मंदिर स्थित है जिसमें भगवान महादेव, हनुमान जी, देवी दुर्गा और देवी काली की प्रतिमा स्थित है। इस मकाबरा के पूर्वी दिशा में एक और मकाबरा स्थित है इस मकबरा को शेरशाह सूरी ने अपने पिता हसन साह सुरी का मकबरा बनवाया है, इसके पश्चिम दिशा में एक कुआं स्थित है जिसे हथिया कुआं कहते हैं इस कुएं में पहले के समय में हाथी पानी पीने आया करते थे, इसके उत्तरी दिशा में लाल पत्थरो से बना एक गेट स्थित है जिस रोजा गेट भी कहा जाता है, और इसके दक्षिणी दिशा में कैमूर पहाड़ी स्थित है जिसमें कई वॉटरफॉल ऐतिहासिक किले स्थित है। जिसमें हर साल इस मकबरा की खूबसूरती और ऐतिहासिक स्थल को देखने के लिए लाखों लोग आते हैं यह मकबरा प्राचीन शहर सासाराम में स्थित है।
पटना से इस मकबरा की दूरी लगभग 151 किलोमीटर, भभुआ से इस मकबरा की दूरी 54 किलोमीटर, गया से मकबरा की दूरी 102 किलोमीटर, आरा से मकबरा की दूरी 104 किलोमीटर, राजगीर से इस मकबरा की दूरी 172 KM, नालंदा से मकबरा की दूरी 221 KM, पंडित दिन दयाल से मकबरा की दूरी 103 KM है इस मकबरा तक जाने के लिए रेल मार्ग और सड़क मार्ग दोनों ही सुविधा उपस्थित है।
शेरशाह सूरी द्वारा बनाया गया उनका मकबरा राष्ट्रीय धरोहर में से एक है जिसको संरक्षित रखने का कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिया गया है, इस मकबरा की वजह से इसके आसपास के क्षेत्र में विकास बहुत तेज हो रहा है इस मकबरा से बस स्टैंड की दूरी 2 किलोमीटर है और रेलवे स्टेशन 1 किलोमीटर है पर्यटकों के लिए और सुविधा का निर्माण किधर है पर्यटकों को इस मकाबरा तक आने में कोई कठिनाई न हो।
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