बिहार का शोक कोसी नदी Kosi River
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कोसी नदी का इतिहास भूगोल के बारे में जाने (Know about the history and geography of Kosi River)
कोसी नदी जिसे बिहार का शोक नदी कहा जाता है यह नदी नेपाल के हिमालय से बहती हुई बिहार में प्रवेश करती है, बिहार में बाढ़ के कारण इस नदी का बहुत ही नाम है क्योंकि यह नदी अपना विशाल रूप लेकर बिहार में प्रवेश करते है जिसकी वजह से बिहार में बाढ़ आ जाती है और बहुत हानि पहुंचती है, बिहार को बहुत भारी नुकसान पहुंचता है:– लोगों के जान की हानि, उद्योग में कमी, फसलों का नष्ट, पुलों का नष्ट, बुनियादी ढांचे का नष्ट, घरेलू उद्योग में कमी, और हर वर्ष हजारों घर इस नदी में समा जाते हैं आगे इस नदी पर हम गंभीर रूप से बात करेंगे।
कोसी नदी के बारे में कुछ अनसुनी बातें
कोसी नदी केवल बिहार को हानि ही नहीं पहुंचती बल्कि बिहार को कृष कृषि के क्षेत्र में मजबूत और जल आपूर्ति का साधन भी है और हम आपको आज कौन सी नदी के कुछ अनसुनी बातें बताएंगे। कोसी नदी के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि सदियों पहले इस नदी में एक विशाल सांप रहता था जो जल को साफ एवं शुद्ध रखाता था।
कोसी नदी का एक और अनसुनी बातें प्रसिद्ध है। सदियों पहले इस नदी में एक विशाल और बड़ा मगरमच्छ रहता था जो लोगों को डराता और मारता था एक दिन एक साधु ने उस मगरमच्छ को अपने वश में कर लिया। और उसी दिन से मगरमच्छ शांत और पालतू बन गया।
नदी का जल स्रोत और मार्ग
कोसी नदी के मुख्य जल स्रोतों के बारे में बताएं तो यह नदी नेपाल के हिमालय से निकलती है और आगे जाकर चार और नदियों से मिलकर एक विशाल रूप ले लेता है कोसी नदी में मिले हुए नदी का नाम निम्नलिखित है:–
“सुनकोसी”, “भाटकोसी”, “कर्णली”, “तामाकोसी”
मानसून का प्रभाव
कोसी नदी के जल का मुख्य स्रोत बारिश है जब जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर के महीनों में नेपाल में भारी बारिश होती है तो इस नदी में पानी का स्तर बढ़ जाता है और इस पानी को नेपाल छोड़ देता है जो बिहार में बाढ़ का काम बनता है।
- भारी वर्षा:– मानसून के समय विशेष कर जून, जुलाई, अगस्त के महीने में बहुत ही बारिश होती है, जो बाढ़ का कारण बन जाता है।
- बर्फ का पिघलना:– गर्मियों के महीने में विशेष कर मार्च, अप्रैल, मई के महीने में बर्फ के पिघलने से जल का स्रोत बढ़ जाता है जो बाढ़ का कारण बनता है
- भौगोलिक संरचना:– कोसी नदी कहां है क्षेत्र कम होने के कारण उसमें जल बहुत तेज से बोला जाता है जो बाढ़ का कारण बनता है।
मनुष्य के प्रभाव से बाढ़
- बहुत तेजी से नदियों के क्षेत्र में शहरीकरण करने से नदियों के जल रुकते हैं।
- पेड़ो की कमी:– पेड़ों को काटने से मौसम में बदलाव के कारण मौसम में बदलाव के कारण से बाढ़ की समस्या बढ़ जाती है।
- नदी के जल को रोकना:– कूड़ा कचरा और विभिन्न नाले के प्रवाह से नदी का जल स्रोत रुकने लगता है जैसे बढ़कर खतरा बढ़ जाता है।
- बाढ़ से हानि:– बाढ आने की वजह से हजारों लाखों को अपना घर छोड़ना पड़ता है।
- स्वास्थ्य की दिक्कत:– बाढ आने के साथ-साथ उसमें गंदगी और मालवा भी आते हैं जो विभिन्न रोग उत्पन्न करते हैं जिसके कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालता है।
- कृषि की हानि:– बाढ़ के चपेट आने से फसले नष्ट हो जाते हैं जिसके कारण किसानों को बहुत ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
- जल प्रदूषण:– बाढ़ आने से नदियों में नाले के पानी के साथ-साथ रासायनिक दूषित जल में जाता है जीसस अगिले प्रदूषित हो जाता है।
बाढ़ से बचने के उपाय
- कोसी नदी में हर वर्ष बढ़ आता है जिसको हम कई उपायो से रोक सकते हैं।
- बाँध का निर्माण करके:– कोसी नदी में कई बांध बन रहा हैं जो बहुत तेजी से आ रहे नदी के जल के भाव को काम कर देंगे।
- नदियों के जल का निकासी:– नदियों के किनारे किनारे जल के जल की निकासी प्रणाली का व्यवस्था करके हम नदियों के जलस्तर को कम कर सकते हैं ।
- लोगों को जागरुक कर :– बाढ़ से आने वाली परेशानियां और बचने के तरीके लोगों को हम जागरुक कर सकते हैं।
- बाढ़ की भविष्यवाणी करके:– मौसम विज्ञान विभाग द्वारा बाढ आने से पहले सूचना देकर बाढ़ से बचा जा सकता है।
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