स्वामी विवेकानंद Swami Vivekananda Biography
भारत देश के इतिहास में विवेकानंद का महत्वपूर्ण योगदान है उन्होंने एशिया के साथ-सा उन्होंने पूरे यूरोप में भारत देश का नाम गर्भ से ऊंचा किया इनके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है उन्होंने कोई व्यक्तियों को क्रांतिकारी बनाया था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में स्वामी विवेकानंद का एक महत्वपूर्ण स्थान है और भारत को स्वतंत्र करने में स्वामी विवेकानंद का महत्वपूर्ण योगदान था यह कहते थे की किसी भी देश का भविष्य आने वाले पीढ़ी के हाथों में होता है।
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स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
भारत देश के इस महान पुरुष का जन्म 12 जनवरी 1863 ईo को पश्चिम बंगाल राज्य के हावड़ा (कोलकाता) में हुआ स्वामी विवेकानंद बचपन का मूल्य नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया था मेरे पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था जो पैसे से एक वकील करते थे और माता का नाम भुवनेश्वरी था यह पढ़ने में बहुत तेज थे उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी कि और नरेंद्रनाथ दत्त जी भारत के विभिन्न क्षेत्र में यात्रा करके योग और ध्यान के ज्ञान का प्रचार किया।
नरेंद्रनाथ दत्त से स्वामी विवेकानंद का रूप
नरेंद्रनाथ दत्त को बचपन से पूजा पाठ और योग करना बहुत ही पसंद था वे भगवान शिव (महादेव) की पूजा किया करते थे कुछ वर्षों के बाद उनकी मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई वे रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बन गए वे कड़ी साधना, योग और ब्रह्मचर्य का पालन किया और रामकृष्ण परमहंस से दीक्षा (ज्ञान) लेने के बाद वे वे नरेंद्रनाथ दत्त से स्वामी विवेकानंद से प्रसिद्ध हो गए और वह अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के बताएं रास्ते पर चलने लगे।
स्वामी विवेकानंद अमेरिका का शिकागो का भाषण
स्वामी विवेकानंद अमेरिका के मशहूर शहर शिकागो के विश्व धर्म संसद में भारत की तरफ से भाषण देने की शुरुआत “उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक आपको आपकी मंजिल मिल नहीं जाती” यह एक बहुत ताकतवर मंत्र था जिससे पूरी दुनिया में स्वामी विवेकानंद का एक अलग पहचान बन गई और उन्होंने बताया कि की धर्म का मूल्य उद्देश्य मानव कल्याण, अहिंसा, सत्य, ज्ञान और सभी को एकजुट रखना है उनका दिया गया भाषण यूरोप में अपना प्रभाव डाला की उनको चिता के दहाड़ने वाला सन्यासी कहां जाने लगा।
स्वामी विवेकानंद कुछ मुख्य विशेष विचार
- युवाओं का योगदान :– स्वामी विवेकानंद का कहना था कि किसी देश का विकास तभी होगा जब देश की सरकार और युवा मिलकर कार्य करेंगे क्योंकि युवाओं में अपार ऊर्जा, सहनशीलता और बहुत ही जोश रहता है जिसको हम देश के विकास में उपयोग कर सकते हैं
- स्वदेशी आंदोलन का समर्थन :– स्वामी विवेकानंद ने कोई स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया था उनका कहना था स्वदेशी वस्तु खरीदना चाहिए ताकि देश का विकास हो और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए।
- सामाज का सुधार :– स्वामी विवेकानंद समाज सुधार में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है उनका कहना था कि महिलाओं को अपने हाथ के लिए लड़ाई लड़नी चाहिए ताकि ताकि देश के विकास में महिलाएं भी योगदान दे सके।
स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रमुख भाषण
- शिकागो विश्व धर्म परिषद में भाषण (1893) :– इस भाषण में विवेकानंद ने भारत के संस्कृति और धार्मिक विशेषताओं को पूरे विश्व को बताया।
- भारत का भविष्य (1897) :– स्वामी विवेकानंद इस भाषण के माध्यम भारत के भविष्य के बारे कहना चाहते हैं कि भारत का भविष्य भारत के युवाओं के हाथों में है और भारत देश के विकास में युवाओं को आगे आना चाहिए।
- योग और प्रार्थना :– स्वामी विवेकानंद इस भाषण में कहते हैं कि योग और प्रार्थना से मनुष्य का शरीर और दिमाग शांत रहता है।
स्वामी विवेकानंद की कुछ उपदेश निम्नलिखित है।
स्वामी विवेकानंद एक महान ब्रह्मचारी, योगी और संत थे उन्होंने कई उपदेश दिया था जो आज भी मनुष्य को प्रेरित करता है। उनके कई उपदेश निम्नलिखित है।
साधु संत का मार्ग बहुत ही कठिन होता है।
- मनुष्य को शांति तभी मिलेगी जब वह अपने मन को शांत रखेगा।
- मनुष्य के वर्तमान का विचार भविष्य को दर्शाता है।
- मनुष्य का अज्ञान रहना है मनुष्य के दुख के कारण है
- जो मनुष्य अपनी मन की बात को मानता है वह कभी स्वतंत्र और विकास नहीं कर सकता।
- मनुष्य का सच्चा ज्ञान हुआ है जो आपको स्वतंत्र रखता है।
- सुख और दुख दोनों ही मनुष्य के जीवन के महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- देश का विकास केवल शिक्षा से किया जा सकता है।
- जैसा मनुष्य का सोचता रहता है वैसा ही बन बनने लगता है
- जब तक मनुष्य भूतकाल को भुला नहीं देता विकसित नहीं हो सकता।
- मनुष्य का मूलधन उसका स्वास्थ्य है।
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