Bihar Poltics History
बिहार भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण राज्य है जिसका ऐतिहासिक सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व अत्यधिक है बिहार की राजनीति (Bihar Poltics History) ने न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इस राज्य की राजनीतिक परिस्थितियाँ समय समय पर बदलावों का सामना करती रही हैं और यह क्षेत्रीय पार्टियों जातिवाद समाजवाद और सामाजिक न्याय के मुद्दों से गहरे जुड़ा हुआ है।
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बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि
बिहार का इतिहास बहुत ही समृद्ध और विविधतापूर्ण है प्राचीन काल में यह क्षेत्र मगध साम्राज्य का केंद्र था जो भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसके बाद मुग़ल साम्राज्य और ब्रिटिश शासन के दौरान भी बिहार का राजनीतिक प्रभाव रहा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बिहार ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने इस राज्य से ताल्लुक़ रखा जैसे कि चंद्रशेखर आझाद,जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर।
आधुनिक बिहार की राजनीति (Bihar Poltics History) ब्रिटिश शासन के बाद की घटनाओं से प्रभावित रही है स्वतंत्रता के बाद से बिहार ने कई बड़े बदलावों का सामना किया जिनमें प्रमुख जातिवाद समाजवाद और समाजिक न्याय आंदोलनों का असर रहा।
प्रमुख राजनीतिक दल
बिहार में कई प्रमुख राजनीतिक दल (Bihar Poltics History) हैं जिनमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD) जनता दल यूनाइटेड (JD(U)) भा.ज.पा (BJP) कांग्रेस पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) शामिल हैं।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की स्थापना 1997 में लालू प्रसाद यादव द्वारा की गई थी लालू प्रसाद यादव का यादव जाति पर मजबूत आधार था और उन्होंने सामाजिक न्याय के मुद्दे को बढ़ावा दिया उनकी सरकार ने पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए कई योजनाएँ शुरू की थीं लालू यादव ने अपनी राजनीति को एक तरह से सामाजिक न्याय के मुद्दे से जोड़ा और बिहार में सामाजिक बदलाव के प्रतीक बन गए। हालांकि भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उनके राजनीतिक करियर में कुछ गिरावट आई लेकिन वे बिहार की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति बने रहे हैं।
जनता दल यूनाइटेड (JDU)
जनता दल यूनाइटेड (JD(U)) की स्थापना 2003 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी नीतीश कुमार ने अपनी राजनीति (Bihar Poltics History) में सुशासन और विकास के मुद्दे को प्रमुखता दी वे अपने नेतृत्व में बिहार को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने का दावा करते रहे हैं उनकी पार्टी ने सामाजिक और जातीय समीकरणों के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास किया जिससे उन्हें व्यापक समर्थन मिला। नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव से अलग होकर 2005 में राज्य की सत्ता पर कब्जा किया और 2015 तक राज्य में अपनी सरकार बनाए रखी।
भारतीय जनता पार्टी (BJP)
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बिहार की राजनीति में 1990 के दशक के बाद से अपनी स्थिति मजबूत की है भाजपा ने बिहार में नीतीश कुमार और अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करके सत्ता में भागीदारी की भाजपा ने हिंदुत्व और विकास के एजेंडे को प्रमुख बनाया और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की इसके अलावा भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में एक मजबूत राजनीतिक (Bihar Poltics History) प्रभाव कायम किया है जिसका असर बिहार में भी दिखा है।
कांग्रेस पार्टी
कांग्रेस पार्टी का बिहार में प्रभाव 1947 से 1990 के दशक तक काफी मजबूत था लेकिन उसके बाद से पार्टी की स्थिति कमजोर होती गई फिर भी कांग्रेस ने बिहार में गठबंधन की राजनीति के तहत भूमिका निभाई और चुनावों में भाग लिया बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का समर्थन या विपक्षी गठबंधनों में भागीदारी महत्वपूर्ण होती है।
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP)
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की स्थापना राम विलास पासवान ने की थी जो एक प्रमुख दलित नेता थे उनकी पार्टी ने बिहार की राजनीति में विशेषकर दलित और अतिपिछड़ा वर्गों के अधिकारों को बढ़ावा दिया LJP ने विभिन्न चुनावों में भाग लिया लेकिन उनके प्रभाव क्षेत्र और पार्टी का आकार समय-समय पर घटता बढ़ता रहा है।
बिहार में जातिवाद और समाजवाद
बिहार की राजनीति (Bihar Poltics History) में जातिवाद का प्रभाव बहुत गहरा है बिहार में जातिवाद विशेष रूप से यादव राजपूत कुर्मी और अन्य पिछड़ी जातियों के बीच विभाजन को राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल किया।
बिहार के चुनावी परिदृश्य
बिहार में विधानसभा और लोकसभा चुनावों का परिदृश्य बेहद जटिल और गतिशील होता है चुनावों में जातीय समीकरण गठबंधन राजनीति और राष्ट्रीय मुद्दों के प्रभाव का महत्वपूर्ण योगदान रहता है यहां के चुनावों में कभी कभी गठबंधन के टूटने और नए गठबंधन बनने की घटनाएँ सामान्य हैं।
बिहार के चुनावों (Bihar Poltics History) में तीर-धनुष (RJD) और सूरज (JD(U)) के निशान साथ ही कमल (BJP) का प्रतिनिधित्व हमेशा प्रमुख रहा है राष्ट्रीय मुद्दे भी बिहार के चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं लेकिन जातिवादी समीकरणों और स्थानीय मुद्दों का भी चुनाव परिणामों पर बड़ा असर होता है।
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