Gautama Buddha गौतम बुद्ध
जीवन परिचय
गौतम बुद्ध के ज्ञान स्थान बिहार राज्य के गया जिले में स्थित है, गौतम बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ गौतम हुआ करता था। गौतम बुद्ध शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोधन और रानी महामाया के बेटे थे, गौतम बुद्ध का जन्म सन 563 ई० मे हुआ उनका जन्म स्थान पूर्वी लुंबिनी मे हुआ जो आज नेपाल देश मे स्थित है। उसे वक्त भारतीय राजाओं से यह गणराज्य और राजवंश सुरक्षित और स्वतंत्र हुआ करता था, सिद्धार्थ गौतम बचपन से ही वह महल अंदर भव्य, विशाल और भिन्न सुंदर कलाकृत्यों के बिच उनका पालन पोषण किया गया था।
युवावस्था
सिद्धार्थ गौतम का जीवन एक सामान्य राजकुमार जैसे गुजरा था।
राजकुमार गौतम का विवाह राजकुमारी यशोधना से हुई और कुछ मन के बाद गौतम बुद्ध के पुत्र राहुल का जन्म हुआ। जब सिद्धार्थ गौतम मार्च निकालकर कहानी जा रहे थे तो उन्हे एक वृद्ध, एक रोगी, एक मृत व्यक्ति और एक सन्याशी दिखाई पड़ा। यह सब देखने के बाद उनके जीवन का रहन-सहन बादल गया, उनका कहना था कि मनुष्य के जीवन में दुख अनेको है जिससे मनुष्य कहि भी जाए इस दुख से नहीं बच सकता है। जिसको देखते हुए पूरे संसार में सच और सत्य की खोज करने की मन में आई।
- संन्यास और तपस्या*
सिद्धार्थ ने 29 साल की उम्र में अपने परिवार अपना राजमहल और अपने सारे संपत्ति का त्याग कर एक सन्यासी का रूप बन गए।वे कई वर्षों तक सत्य और ज्ञान की खोज करने के लिए तपस्या लीन हो गए, और वह कई संन्यासी और गुरुओं के पास जाकर ब्रह्मचर्य का जीवन जीने लगे। लेकिन उन्हें ब्रह्मचर्य जीवन सभी संतुष्टि नहीं मिला, और वे ब्रह्मचर्य के मार्ग को छोड़कर, मध्यम मार्ग की ओर जाने के लिए सोचने लगे, यह एक ऐसा मर गया है। जिसमें कठिन कार्य और ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करना होता है - ज्ञान की प्राप्ति*
बिहार राज्य के गया जिले में सिद्धार्थ ने 35 साल की उम्र में एक पीपल के नीचे मौन होकर ध्यान करते थे और इसी पीपल के पेड़ के नीचे उन्हे ज्ञान मिला था। जिसे उनको सन्यासी, गुरुओं और विभिन्न गांव के लोग बुद्ध कहने लगे। “बुद्ध” जिसका का मतलब जाग्रत होता है। और जीवन के चारों सत्याओं में ज्ञान की प्राप्ति किया हो। - बौद्ध धर्म का प्राचार*
गौतम बुद्ध को ज्ञान मिलने के बाद उन्होंने यह सोचा किइस ज्ञान को दूसरे लोगों तक पहुंचाना बहुत ही जरूरी है। उन्होंने पहले बार वाराणसी के सारनाथ स्थान में अपने पहले पुरुष पांच शिशु को अपने बौद्ध धर्म के बारे में ज्ञान दिया। ज्ञान देते हुए उन्होंने चार आर्य सत्य दिया, जिसका मतलबस मझदार व्यक्ति होता है इसके साथ अष्टांगिक रास्ता के बारे में बतते है जिसका मतलब सही, बुद्धिमान और खुश होता है।
महापरिनिर्वाण *”
80 साल की उम्र में कुशीनगर जो आज भारत देश के उत्तर प्रदेश अंतिम सांस लेते हुए, बुद्ध ने मनुष्य को अपना भविष्य का रास्ता खुद खोजना। गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों और शिष्यों ने इस बात के साथ-साथ बौद्ध धर्म का भी प्रचार जोरो सोरो किया, यह धर्म कोई देश में फेल गया जैसे:- जापान, चीना, तिब्बत, श्रीलंका और अन्य देश भी ससम्मलित है
प्रमुख बौद्ध संप्रदाय
साल दर साल उनके उपदेशों को विभिन्न तरीकों से फहराया गया, यह धर्म कई गुटों में बट गया, जिसमें से दो बहुत हि प्रचलित है।
1 थेरवाद :- या गुट बौद्ध धर्म को पुराने रूप में देखा है इस गुडतु को हीनयान भी कहते हैं यह गुट मुख्य रूप से श्रीलंका म्यांमार अन्य देशों में स्थित है
2 महायान
या गुड बौद्ध धर्म को भविष्य के रूप में दिखता है यह गुट मुख्य रूप से जापान तिब्बत चीन जैसे और अन्य देशों में स्थित है।
प्रमुख स्थल
1 लुंबिनी:- यह क्षेत्र नेपाल देश में है, इसी स्थान पर गौतम बुद्ध का जन्म हुआ थाबौद्ध धर्म के चारों तीर्थ स्थलों में से एक है।
2 बोधगया:- यह स्थान बिहार राज्य के गया जिले में स्थित है इसी स्थान पर बुद्ध को ज्ञान मिला था इस स्थान पर महाबोध मंदिर स्थापित किया गया है
3 सारनाथ:- यह स्थान उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध नेपांच शिष्यों को उपदेश दिया था
4 कुशीनगर:- यह स्थान उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है इस स्थान पर गौतम बुद्ध ने अपना अंतिम सांस लिया था
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