Maa Mundeshwari Temple माता मुंडेश्वरी मंदिर
Table of Contents
मंदिर का परिचय
भारत के बिहार राज्य मे स्थित कैमूर जिले मे माँ मुंडेश्वरी मंदिर है, यह भारत का सबसे प्राचीन हिंदू मंदिर है इस मंदिर की स्थापना “108वी” ईस्वी मे भगवानपुर अंचल पवरा नामक पहाड़ी के चोटी पर 609 फिट पर स्थित है इस मदिर मे कुल 565 सीढिया बनी हुई है। इस प्राचीन मंदिर भगवती मुंडेश्वरी माँ की पूजा किया जाता है।
मंदिर का इतिहास
माँ मुंडेश्वरी मदिर के इतिहास बारे मे अधिक जानकारी हमारे हिंदू ग्रंधो और स्थानीय लोगो से मिलता है इतिहासकारों का कहना है की इस मंदिर की स्थापना (“4th-6th” शताब्दी) के दौरान बनाया गया होगा। भारतीय स्रोतो का कहना है की इस मंदिर का निर्माण मौर्य काल (321-185 ईस्वी) के समय बनाया गया होगा। माँ मुंडेश्वरी मंदिर के बनने के बाद इस मंदिर मे कई बार संशोधन किया गया। मुगलो के शासक के इस मंदिर को गिरना चाहते थे। लेकिन इस मंदिर को थोड़ा हि क्षति पहुंची है लेकिन कुछ वर्षो के बाद इस मंदिर की पुनः निर्माण और मरम्त किया गया। 1980 ई० के बाद इस मंदिर और मंदिर के क्षेत्रो मे विकास किया गया। जिसे आप वर्तमान स्वरूप मे देख सकते है।
मंदिर की वास्तुकला
बिहार राज्य के कैमूर जिले मे स्थित मुंडेश्वरी माँ का मंदिर वास्तुकला और उत्तर भारत के इतिहास को दर्शाता है मंदिर का गर्वगृह पत्थरो को त्रासकर बनाया गया है। इस मंदिर मे एक प्राचीन शिवलिग स्थापित है सूर्यदेय और सूर्यास्त के समय शिवलिंग का रंग बदलता रहता है मंदिर की गर्वगृह के ऊपर एक पिरामिडनुमा (गुम्बजकार) शिखर बना हुआ था।जी मंदिर की शोभा और उचाई को बठाता था।लेकिन मुगलो ने इस मंदिर पर आक्रमण पर शिखर ध्वस्त कर दिया। मंदिर के आसपास के क्षेत्रो मे कई छोटे मंदिर और पिंड स्थापित है।
मंदिर का धार्मिक महत्व
बिहार राज्य के कैमूर जिले मे स्थित माँ मुंडेश्वर मंदिर को हिंदू धर्म (सनातन धर्म) तीर्थस्थलों मे से एक मानता है। यहां के स्थनीय लोगो का कहना है की जब माँ चंड मुंड का वध करने के लिए अपना रोध्ररुप लेकर चंड का वध करते हि मुंड युद्ध करते हुए इस पहाड़ी मे आकर छिप गया माता ने मुंड का वध इसी पहाड़ी पर किया। जिससे यह पूरे भारत वर्ष मे मुंडेश्वरी माता के नाम से प्रसिद्ध हुई। भक्तो का कहना है की इस मंदिर मे पूजा पाठ करने से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। नवरात्रि के समय माता की बहुत हि भव्य तरीके से पूजा अर्चना किया जाता है जिसको देखने के लिए भिन्न जिलो से हि नही बल्कि भिन्न राज्यों सर भी लोग आते हैं ।
मंदिर का भूगोल
यह मंदिर कैमूर जिले मे स्थित है। इस मंदिर से इसका गेट (250-300 मी) की दूरी पर स्थित है, और यह मंदिर कैमूर नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर के आसपास जगल,झील और पहाड़ी स्थित है।
मंदिर का सामाजिक महत्व
कैमूर जिले मे स्थित मुंडेश्वरी मंदिर आसपास के ग्रामीण निवासीओ के लिए धार्मिक और समाजिक का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। मंदिर के आसपास क्षेत्र के मे धार्मिक और समाजिक कार्यकर्म आयोजित होते रहते है। यह मंदिर स्थानीय निवासीओ लोगो के लिए सास्कृतिक और धार्मिक चिन्ह का केंद्र है।
मंदिर के आसपास के पर्यटक स्थल
कैमूर जिले मे स्थित मुंडेश्वरी मंदिर के आसपास के क्षेत्रो मे कई पर्यटक स्थल उपस्थित है। जो विभिन्न पर्यटको के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, इन मे से कई प्रमुख पर्यटक स्थल निम्नलिखित है।
मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण
कैमूर जिले मे स्थित मुंडेश्वरी मदिर का सुरक्षा और संरक्षण सरकारी विभाग कार्य करता है, इसके साथ हि स्थानीय लोगो का कमिटी और समुदाय भी कार्य करता है, मंदिर की सुरक्षा के लिए पुलिस और मंदिर कमिटी के सदस्य तैनात रहते है। और मंदिर का दान पेटी का पैसा संकारी खाते मे जाता है। तब के मंदिर की विकास और देखभाल के लिए बजट पास पास किया जाता है और मंदिर को संरक्षित रखने के लिए भिन्न प्रयास किया जाता है।
शेरगढ़ किला:- भारतीय इतिहास मे इस किलें की महत्वपूर्ण योगदान है, इस किले का निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था।
मड़वा राष्ट्रीय उद्यान:- यह जानवरो के लिए संक्षित क्षेत्र है जिसमे बाघ, शेर, शिआर, एव हाथी और अन्य जीव जंतुओ का घर है।
कमरकंटक पहाड़िया:- यह स्थान पहाड़ियों मे छिपा है जो अपने अंदर प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक स्थानों को छिपा कर रखा है।
अमरकंटक वन्यजीव अभ्यारण:- यह एक संक्षित क्षेत्र है जो जीव, जंतु और पंक्षियो के लिए आदर्श बना हुआ है
दुर्गावती बांध:- यह बांध दुर्गावती तालाब बनते समय बनाया गया था।
Aap Kabhi Maa Mundeshwari Temple माता मुंडेश्वरी मंदिर Jaiye aur darshan jrur keejiye Jai Mata Di ll
Related to May You Know :
Welcome to The Gateway of Bihar
Maa Tarachandi Dham शक्तिपीठ मां ताराचंडी धाम
1 thought on “Maa Mundeshwari Temple माता मुंडेश्वरी मंदिर शक्तिपीठ शक्ति, श्रद्धा और संस्कृति प्राचीनतम मंदिर Amazing 4th शताब्दी”