सासाराम History and Culture of Sasaram गौरवशाली इतिहास और संस्कृति का Amazing संगम की 1 झलक

सासाराम History and Culture of Sasaram

बिहार राज्य के रोहतास जिले में प्राचीन शहर स्थित है जिसका नाम सासाराम है संसार का इतिहास हजारों साल पुराना है भारत के इतिहास में इस शहर का एक महत्वपूर्ण योगदान है यह शहर कोई शासको के शासनकाल को दर्शाता है इस शहर में कई ऐतिहासिक किले के साथ कोई खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है यह शहर रोहतास जिले का दिल भी कहा जाता है आगे हम इस शहर का इतिहास और भूगोल के बारे में जानेंगे।

सासाराम शहर का परिचय

बिहार राज्य के रोहतास जिले में सासाराम शहर स्थित है यह शहर खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है यह शहर भारत के प्राचीन शहरों में से एक है इस शहर में कई ऐतिहासिक किले स्थित है जो इस शहर के इतिहास को बताता है और इस शहर में कई ऐतिहासिक पवित्र स्थल है और इस शहर में कोई पौराणिक कथा मशहूर है इस शहर में सहस्त्रबाहु का घर बताया जाता है जिसके नाम पर इस शहर का नाम सासाराम पड़ा।

सासाराम शहर का मानसून

गर्मियों के दिनों में इस शहर का तापमान 40°C से 45°C तक रहता है हम ठंड के मौसम में इस शहर के तापमान 3°C से 15°C रहता है और मानसून के महीने में इस शहर की खूबसूरती देखने में आती है क्योंकि बारिश के दिनों में ही इस शहर खूबसूरत वॉटरफॉल का मजा लिया जा सकता है।

सासाराम शहर की भौगोलिक संरचना

सासाराम शहर के आसपास खूबसूरत पहाड़ियां और खूबसूरत वॉटरफॉल स्थित है जिससे यह शहर और खूबसूरत दिखता है यह शहर रोहतास पहाड़ के बगल में स्थित है इस शहर में कई नदिया स्थिक है

सासाराम शहर का प्राकृतिक संसाधन

सासाराम शहर में कई खनिज उपस्थित है जिसमें मुख्य रूप से कोयला और पत्थर है यह खनिज संसाधन के क्षेत्र में आर्थिक रूप से मदद करता है।

सासाराम शहर का इतिहास

सासाराम शहर का इतिहास प्राचीन काल तक जाता है प्राचीन काल में सासाराम के कई नाम था जो निम्नलिखित हैं सिद्धाश्रम, सहसराम, ससरॉव, शाह सेराय और परशुराम था सासाराम नाम की उत्पत्ति सहस्त्रबाहु दैत्य और परशुराम से हुई इस शहर पर विभिन्न साम्राज्य और शासको ने शासन किया इस साल की कुछ ऐतिहासिक परिचय।

  • प्राचीन काल :– सासाराम सुर का इतिहास भारत के प्राचीन काल तक मिलता है इस शहर में पुरातात्विक खुदाई के माध्यम से यह बात पता चलेगी पहले के समय में यहां पर मानव कबीला का बस्ती हुआ करता था।
  • मौर्य साम्राज्य :– सासाराम शहर का इतिहास सम्राट अशोक से जुड़ा हुआ है यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि सम्राट अशोक ने इस शहर में कई स्तूप और शिलालेख की स्थापना किया था।
  • मुगल काल :– मुख्य रूप से सासाराम शहर का ऐतिहासिक महत्व मुगलों के शासनकाल में बढ़ा था उस वक्त सासाराम पर शेरशाह सूरी का शासन था उसने एक मकबरा बनवाया आज भी इस शहर में स्थित है।
  • शेर शाह सूरी का मकबरा :– सासाराम में स्थित शेरशाह सूरी का मकबरा पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है यह मकबरा अपनी वास्तुकला और कलाकृति के लिए जाना जाता है यह मकबरा एक विशाल झील के बीच में स्थित है।
  • आधुनिक काल :– सासाराम शहर ने अंग्रेजी शासन काल के समय भी विशेष रूप से भूमिका निभाई थी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में यहां के रहने वाले लोगों का योगदान था।
  • सासाराम शहर की भाषा :– सासाराम शहर में विशेष रूप से हिंदी और उर्दू भाषाएं बोली जाती है इसके साथ ही भोजपुरी और मैथिली बोली जाती है।
  • सासाराम का त्यौहार :– सासाराम में विभिन्न त्यौहार मनाया जाता है जैसे, दिवाली, ईद, क्रिसमस, रामनवमी, मकरसंक्रांति, लेकिन विशेष रूप होली, दुर्गापूजा और छठ पूजा मनाया जाता है।
  • सासाराम शहर की शिक्षा :– शिक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो बिहार में सासाराम शहर छठे नंबर पता है हालांकि सासाराम के शिक्षा में सुधार हुआ है और यहां पर विभिन्न स्कूलों और कॉलेज का निर्माण किया गया है जिससे छात्रों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके।
  • सासाराम शहर की अर्थव्यवस्था :– मुख्य रूप से सासाराम की अर्थव्यवस्था कृषि, परिवहन, पर्यटन और उद्योग पर निर्भर है।

सासाराम का पर्यटन स्थल

इस शहर में चारों ओर खूबसूरत पर्यटक स्थल उपस्थित है जो निम्नलिखित है शेरशाह सूरी का मकबरा, सुखा रोजा, पायलट मंदिर, हथिया कुआं, माझरकुंड झरना, बुढ़िया शिवलिंग, शिकारिया डैम, कर्मचट डैम, इंद्रपूरी डैम, धुआं कुंड झरना, सूर्य मंदिर, तुतला भवानी, नवलखा मंदिर, गीता घाट झरना, गुप्ता धाम, सीता कुंड झरना, और ताराचंण्डी मंदिर के साथ कई और पर्यटक स्थल उपस्थित है।

सासाराम शहर के धार्मिक स्थल

सासाराम शहर में एक शक्तिशाली देवी की पूजा होती है जिनकी उत्पत्ति माता सती के नेत्र से हुई है यह मंदिर ५२ शक्तिपीठ में से एक है यह मंदिर हजारों साल पुराना है यहां का स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान परशुराम ने जब सहस्त्रबाहु को हराने के बाद मां ताराचंण्डी भवानी की पूजा की।

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