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History of Shergarh Fort शेरगढ़ किला
बिहार राज्य के रोहतास जिला में स्थित शेरगढ़ किला एक ऐतिहासिक किला है, जो भारतीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। इस किले के निर्माण से लेकर इसका इतिहास भिन- भिन कालखंडों और इसके शासकों से जुड़ा हुआ है, यह किला बिहार के इतिहास मे हि नही भारत के इतिहास मे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। “16वी” सदी के प्रारम्भ मे शेरगढ़ किला का निर्माण हुआ। यह किला अफगान शासक शेर शाह सूरी इनके बचपन का नाम “फरीद खान” द्वारा बनवाया गया था। शेर शाह सूरी अफगान वंश के शासक थे, उन्होंने एक किले का निर्माण आने वाली प्रशासनिक और सैन्य संरचना को देखते हुए इस किले का निर्माण कराया। यह किला अद्धभुत कला के लिए प्रसिद्ध है। यह किला रोहतास सासाराम से (40 km) दूरी पर कर्मचट डैम नामक स्थान पर पहाड़ी के ऊपर स्थित हैं, इस किले की दीवारे बहुत हि मोटी, ऊची एव मजबूत है, जो बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा मे सक्षम बनाती हैं। शेरगढ़ किले के अंदर अलग-अलग भवनो का निर्माण किया गया, जैसे:- मस्जिद, भोजघर, जलाशय और अन्य संरचना सम्मलित थी।
शेरगढ़ किला के वास्तुक्ला
इस किले मे भारतीय शैलि और अफगान वास्तुक्ला देखने को मिलता है। (History of Shergarh Fort शेरगढ़ किला) इसके प्रमुख द्वार ‘लाल दरवाजा’ मे अशोक स्तंभ और अन्य प्राचीन चित्रकला भी देखने को मिलता है। जो किले को इतिहासिक और महत्वपूर्ण बनाता है। भारतीय इतिहास मे शेर शाह सूरी महत्वपूर्ण शासक के रूप में जाने जाते हैं। उनके शासनकाल में बिहार मे निम्नलिखित विकास हुआ, जिस्मसे एक कार्य निम्नलिखित है। :- सूर मार्ग’ या ‘सड़क-ए-आजम’ नाम दिया गया। आधुनिक काल में गवर्नर जनरल ऑकलैण्ड ने इसका पुनर्निर्माण कराया और ग्रांड ट्रंक रोड ( Grand Trunk – GT road ) नाम दिया। शेरगढ़ किला केवल किला नही बल्कि शेर शाह सूरी का सैन्य किला भी था, और सामाजिक एव प्रशासनिक सुधार का केंद्र भी था। यह किला राजनीति दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था। क्योकि यह दिल्ली, कोलकता और अन्य प्रमुख महत्वपूर्ण शहरों के बिच विशेष मार्ग पर पर स्थित है। शेरगढ़ किला के निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद यह इतिहासिक महत्व का प्रतिक बन गया। लेकिन शेर शाह सूरी के मृत्यु “1545 ई०” के बाद शेरगढ़ किले का महत्व कम होने लगा। मुग़ल सम्राज्य के प्रभाव से राजनितिक उथल-पुथल की स्थिति बिगड़ने लगी। और कुछ वर्षो के बाद किला आंशिक रूप से खंडहर मे तब्दिल हो गया। इस किले की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा देखभाल किया जाता है। किला का ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे संरक्षित किया जा रहा है। ताकि भविष्य मे अगली पीढ़ी को इसके इतिहास और सास्कृतिक महत्व को देख और समझ सके।
शेरगढ़ किले के भौगोलिक स्वरूप
शेरगढ़ किले के क्षेत्र मे गर्मियों के महीने मे यहां का तापमान लगभग 45° सेल्सियस तक चला जाता है और सर्दियों के महीनों मे यहाँ का तापमान 4-9° सेल्सियस तक चला जाता है और बारिस (मानसून) के महीनों मे यहाँ के क्षेत्र बहुत खूबसूरत और आकर्षण का केंद्र बन जाते है और यह किला लाल बलुआ नामक के छोटे-छोटे पत्थरो से मिल कर बनाया गया है और इस किले का द्वार बहुत बड़े थे जो इस किले की सुंदरता और बढ़ जाती थी। किले के अंदर एक बहुत ही खूबसूरत मस्जित स्थित है और यहाँ पर रहने वाले सैनिको के लिए भिन्न-भिन्न त्येखानो का निर्माण किया गया। इस किले की वजह से शेर शाह सूरी ने कई युद्ध जीते और और शेर शाह सूरी के मृत्यु के पश्चात मुगलो ने इस किले पर कब्जा कर लिया। यह किला कई विशेष मुगल शासको के रहने का स्थान बना इस किले को मुगलो के शासको ने अपने राज्य का भाग समझ कर प्रयोग करने लगे और आज यह किला भारतीय इतिहास पर शोध करने वाले छात्रों एव पर्यटन का केंद्र बन गया है।
और आज यह किला सासाराम के प्रमुख पर्यटनो मे से एक है जिसके कारण इस किले को देखने के लिए हर वर्ष हजारों पर्यटक घूमने या शोध करने आते है इस शेरगढ़ किले को घूमने से इस किले का महत्व भव्य वास्तुक्ला और बिहार के धरोहर का अनुभव कर सकेगे। बिहार मे भिन्न जगहों शेरगढ़ किला की कुछ दूरी निम्लिखित है :- पटना से शेरगढ़ किला ऑन थ रोड 202 किलोमीटर है, आरा से 139 किलोमीटर, बिक्रमगंज से 85 किलोमीटर, गया से 169 किलोमीटर,
डेहरी से 62 किलोमीटर, कैमूर से 36 किलोमीटर पर स्थित है। बिहार के और भिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जगहों को जानने के लिए हमारे #gatewayofbihar.company से जुड़े रहे।
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