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Maa Tarachandi Dham शक्तिपीठ मां ताराचंडी धाम
मां ताराचंडी धाम, सासाराम, बिहार के रोहतास जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह स्थान न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी भक्तों को आकर्षित करता है। इस लेख में हम मां ताराचंडी धाम के महत्व, इतिहास, दर्शन और यहां की विशेषताओं पर चर्चा करेंगे।
भौगोलिक स्थिति
बिहार राज्य के रोहतास जिले मे ताराचंरण्डी मंदिर स्थित है जो बिहार हि नही भारत के प्राचीन मंदिरो मे से एक है। और लोग इस माता के मंदिर को तीर्थस्थल के रूप मे मानते है लोगो का कहना है की माता की पूजा सैकड़ो वर्षो से होते आ रहा है यहां के नगर वाशिओ के साथ साथ बिहार के भिन्न जिलों से और अलग अलग राज्यों से लोग घूमने आते रहते है।
ऐतिहासिक महत्व
रोहतास मे स्थित माँ भवानी ताराचंरण्डी मदिर की स्थापना किसने और कब कराई हलाकि स्थानीय लोगो का कहना है की किसी को पता नही है की कब और किसने करवाया। लेकिन हमारे ऐतिहासिक स्रोतो और पुराणों से यह पता चलता है इस मदिर की स्थापना 10वी या उससे पहले हुई होगी लेकिन कुछ इतिहासकारों का कहना है की यहां पर एक किला हुआ करता होगा जिसको ध्वस्त कराकर मंदिर की स्थापना की होगी। लेकिन सनातन धर्म (हिंदू धर्म) नवदुर्गाओ मे से एक ताराचण्डी माँ को मानता है यहां के लोगो का कहना है की परशुराम ने ताराचण्डी माँ की तपस्या की थी।और 52 शक्तिपीठों में से मां ताराचंडी धाम को एक माना जाता है।
मंदिर की वास्तुकला
इस मंदिर का गर्भ गृह पत्थरों से तरास कर बनाया गया है और इस मंदिर के ऊपर बहुत ही ऊंचा और विशाल शिखरर बनाया गया है जिसमें मां दुर्गा और मां भवानी का मंदिर स्थित है और इस मंदिर के पास में हि प्रभु राम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण की पतिमा स्थापित है और इस क्षेत्र मे विभिन्न जगहों पर छोटे छोटे मंदिर का निर्माण कराया गया। और इस विशाल मंदिर के अंदर माँ भवानी ताराचंरण्डी की बहुत हि सुंदर और भव्य स्वर्ण से बना मूर्ति स्थापित की हुई है। मंदिर के पूर्व मे एक पार्क स्थित है, मदिर के पश्चिम मे गाड़ियों का पार्किंग स्थान है, मंदिर के उत्तर मे NH-2 हाईवे स्थित है और मंदिर के दक्षिण से हि रोहतास के पर्यटन का गेट खुलता है।
धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रोहतास जिले में स्थित मां भवानी ताराचंडी कि हिंदू के वेदों और पुरानें में भी वर्णन मिलता है और स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर पर मुगल के शासक ओरंगजेब ने भी आक्रमण कर मस्जिद बनाइ, जिससे माँ भवानी ताराचंरण्डी क्रोधित होकर मुगलो के शासक ओरंगजेब को श्राप देते हुए कहा की तेरे धर्म के हि लोग तेरी मस्जिद मे नमाज, कुरान नही पढ़ेंगे और तेरे धर्म के हि लोग तुझसे नफ़रत करेंगे। उस समय इस घटना की वजह से माँ भवानी ताराचंरण्डी मंदिर बहुत हि प्रसिद्ध हो गया और दूर-दूर से लोग अपनी- अपनी मनोकामना लेकर मां तारा के सरण में आने लगे। इस मंदिर में नवरात्रि के समय बहुत ही भव्य तरीके से पूजा पाठ किया जाता है। जिसकी वजह से इस पूजा में सम्मिलित होने के लिए विभिन्न जिलों से और अलग-अलग राज्यों से लोग आते हैं।
मंदिर का सामाजिक महत्व
समाजिक दृष्टि से रोहतास मे स्थित माँ भवानी ताराचंरण्डी मंदिर बहुत हि महत्वपूर्ण स्थल है। यहां के ग्रामीर्ण लोगो के लिए यह मंदिर सास्कृतिक धरोहर का केंद्र के लिए कार्य करता आ रहा है। मंदिर का विकाश होने से मंदिर आस पास का क्षेत्र मे भी विकाश और अन्य सुविधाएँ मोहियां कराई गई है और इस मंदिर मे आने वाले भक्तो को अच्छी से अच्छी सुविधाएं देने का प्रयास करता आ रहा है
पर्यटन का महत्व
बिहार राज्य मे रोहतास जिले को पर्यटन दृष्टि से इस मंदिर को महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास, धार्मिक केंद्र और मंदिर के भव्यता की वजह से स्थानीय निवासियों लोगो के अलावा भिन्न जिले से नही बल्कि भिन्न राज्यों से भी लोगो को पर्यटनो के आक्रमण का केंद्र है। इस मदिर के क्षेत्र से हि पर्यटन का द्वार खुलता है। जिसका रास्ता माझरकुंड waterfall की ओर जाता है, जो रोहतास के मुख्य पर्यटनो मे से एक है। और यही रास्ता आगे जाकर धुआँ कुंड, सीता कुंड, गौर्या गांव एवं गुप्ता धाम, शीतल कुंड और अन्य पर्यटन स्थलों पर और दूसरे राज्यों तक यह रास्ता जाता है। और रोहतास का पर्यटन स्थल यही तक नही है, बल्कि, सिक्रिया डैम, मेहवा, और गीता घाट जैसे अन्य और waterfall स्थित है। रोहतास का मुख्य पर्यटन स्थल कर्मचट डैम है जो की सासाराम शहर से 40 km दूरी पर स्थित है और इसके बगल मे पहाड़ी के ऊपर शेरगढ़ नामक किला स्थित है।
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